बुधवार, जनवरी 16, 2013

रीती हुई तन्हाई में बीता हुआ दिन

दिल छलनी हो चुका है अब इन घावों पर नमक डालकर दर्द का एहसास न करवाओ। साल ज़रूर नया है मगर घाव वही पुराने से ....तुम मुझे बस एक वजह बताओ कि मुझे तुमसे अब भी प्यार क्यूँ करते रहना चाहिए ....अब तो मुझे रोना भी नहीं आता कि जी हल्का हो जाये ....आह ! आस-पास सब कुछ इतना तेजी से बदल रहा है ...बस ये माइग्रेन का दर्द है जो बरसों से बदला नहीं है ...

रीती हुई तन्हाई में बीता हुआ दिन ....जो कुछ भी आपने पास चाहा वो दूर ही नज़र आया ...और ....जो कुछ सोचा नहीं था वो जीवन का एक हिस्सा बन गए ... उदास जी , उदास दोस्त , उदास रातें ,उदास सपने और जाने क्या क्या उदास ...एक उदास दिन में उस पुराने ख़्वाब की दस्तक जिसमें पापा दिखाई देते हैं ...

सत्रह साल होने को आये पापा को ये दुनिया छोड़े पर मेरे सपनों में वो आज भी छुक-छुक रेलगाड़ी में हमको घुमाने वाले पापा बनकर आते हैं ...और मैं उनसे कहती हूँ कि छोड़ो पापा , अब और नहीं घूमना है ...बस सुबह देर तक सोने का मन है ...पापा राइम करने लगते हैं, "जो सोयेगा वो खोएगा ....जो जागेगा वो पायेगा ..." और जब जाग जाती हूँ तो सोचती हूँ की पापा से कहूँ कि चीज़ें बदल गयी हैं ...अब चैन की नींद आये एक ज़माना गुज़र गया है ....अब सोकर कुछ नहीं खोना है अलबत्ता सुकून ज़रूर मिल जायेगा ....

माँ की चिंताएं एक दम अलग हैं ...कहती हैं तुम सब लोग तैयार रहना मैं कभी भी अंतिम विदाई ले लूंगी . कोई उन्हें कैसे बताये कि उनके होने का क्या अर्थ है हमारे लिए ...वो एक ऐसी धुरी हैं जिसके चारों ओर पूरे घर की खुशियाँ चक्कर लगाती हैं ....तुम सदा सलामत रहो माँ ...खुश रहो माँ कि आज जी बहुत उदास है ....

 उसने कहा यकीन मानो
 मैं तुम्हें उदास नहीं देख सकता 
 मैंने पूछा
 बस एक बात बताओ 
 मुझे ख़ुशी किस चीज़ से मिलती है ?

 हमेशा की तरह वो खामोश ही रहा ....

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