साज़ की उलझी तारों ने इक दिन अनमना सुर छेड़कर साजिन्दे से पूछा कि तुम मुझे कितना प्यार करते हो और कब तक करते रहोगे ? साजिंदा उसके सवाल पर थोड़ा दुखी और कुछ हैरान होता हुआ बोला,"तुमने ये सवाल उस वक्त क्यों नहीं पूछा जब मैं तुम पर सृष्टि के महान गीत की रचना करना चाहता था ?"
साज़ खामोश हो गया. साजिन्दे ने उसकी ख़ामोशी को अपनी जादूभरी आवाज़ से तोड़ते हुए कहा,"सुनो, मैं तुम्हें दिल की गहराई से प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा. साज़ के बेचैन सुरों ने विस्मय से पूछा,"इसका मतलब ये हुआ कि चाहे कुछ भी हो जाये तुम मुझे हमेशा प्यार करते रहोगे ?"
साजिन्दे को इतने बचकाने सुर सहेजने की आदत नहीं थी कि अब वो किन्हीं दूसरे सुरों से मुखातिब था. साज़ की आँखों में अफ़सोस के आँसू थे. साजिंदा भी उससे नाराज़ हो गया और इस पल सजाया जाने वाला गीत चुपचाप सहमकर किसी कोने में जा बैठा, आगे के मंज़र की गवाही देने को.
चाँद कुछ देर को बादल के पीछे जा छुपा और साज़ ने उदासी से कहा,"सुनो, तुम जब-जब मुझे अपने प्यार भरे अंदाज़ से छू लेते हो, मेरे बेतरतीब से तार कुछ सुलझ जाते हैं, इक मीठा सा दर्द उभरता है और मैं एक प्यार भरा गीत बनकर हवाओं में बिखर जाता हूँ. मेरे सीने में एक छोटा सा दिल है जो बार-बार इसी गीत को सुनना चाहता है. आज फिर इसी गीत को सुनने की तमन्ना मुझे तुम तक ले आयी, पर सच तो ये है की सृष्टि के महान गीत रोज़ नहीं लिखे जाते."
साज़-ए-दिल की अफ़्सुर्दगी पे रोना आया कल रात हमने हर बात का मातम मनाया
क्या भाषा क्या प्रस्तुति .. अरसे बाद कुछ ऐसा जो मन को छु गया..
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बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंachcha laga padhkar.
जवाब देंहटाएंwonderful!! enjoyed reading..
जवाब देंहटाएंVarsha ji aur Ranjan aap dono ka shukriya , mujhe bhi ye likhkar bada achchha laga tha .
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