रविवार, जून 12, 2011

तुम्हारे सतरंगी वजूद के एक रंग से मुझे बेहद प्यार है

इस कायनात का हर एक शख्स एक दूसरे से एक दम जुदा और हर एक शख्स में कई जुदा-जुदा शख्सियतों का वजूद. सच कहूँ, तुम्हारे सतरंगी वजूद के एक रंग से मुझे बेहद प्यार है. वो रंग, जो मुझमें खुद-ब-खुद घुलता जाता है और मुझे कभी खुद से जुदा नहीं होने देना चाहता. इसकी भीगी सी खुश्बू को मैंने गुनगुनी धूप में भी संजोकर रखा है कि तमाम उम्र इसी मदहोशी में गुजरने पाए.
   खुले आँगन में बैठकर उस दिन तुमने एक बात कही थी कि इन दिनों तुम बेहद खुश हो, बिना वजह. मुझे भी तो नन्ही बिटिया की आवाज़ कोयल सरीखी लगा करती है आजकल. यूँ बेवजह खुश होने का मतलब नहीं जानना है मुझे. बस इन खुशियों की उम्र में इज़ाफा होने की दुआ खुद मैंने अर्श पर जाकर मांगी है और प्यार करने वालों की दुआओं में यकीनन असर होता है.
     कई उदास सफ़र अकेले तय कर लिए इन रास्तों ने. हाँ, मेरी आँखों का रंग कहाँ देखा था तुमने उस दिन? उन्हें एक रास्ता भर कह दिया था मेरे दिल तक पहुँचने का. और फिर मेरे मुस्कुराते ही तुम्हारी रुलाई छूट गयी थी. शायद तुम्हें इस अफ़सोस ने घेर लिया कि दो अकेले उदास सफ़र साथ-साथ कटने पाते तो कितने खुशनुमा होते.
   एक पूरी उम्र अभी बाकी है मेरे दोस्त. अगर एक अप्रत्याशित तरीके से मेरी आवाज़ तुम्हे चौंका दे, तो सोचा है कभी कि तुम खुश होओगे या कि उदास ? एक ख्वाहिश है मेरी कि उस दिन बस मेरी पसंद के उस रंग को मुझमे घुलने देना.

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