गुरुवार, जून 30, 2011

वादा

"सुनो, मैंने कुछ तय किया है."........"अब मैं बाकी सब चेहरे भूल जाना चाहता हूँ."......इस बात का ठीक-ठीक मतलब समझना मुश्किल था उस वक्त. पर अब कुछ-कुछ समझ में आ रहा है. कोशिश ही कहाँ की थी कुछ भी समझने या जानने की और सच तो ये है कि इस बात का कोई अफ़सोस भी नहीं होता. एक अरसे बाद मिले थे फिर ऐसी फ़िज़ूल बातों के लिए वक्त ही कहाँ था.

मौसम को अपने रंग में ढालना हो या फिर कोई शायरी कहनी हो, कोई बात उसके बगैर पूरी नहीं होती थी. हर तरफ एक ही ख्याल....हाँ, अब उसे खुद अपनी ही खबर नहीं थी. "मैं तुम्हें एक बार छू कर देखूँ तो यकीं हो कि तुम हो..." ऐसा एक बार बेखयाली में कहा था उसने.... उस दिन से लगने लगा कि शायद ये एक ख़्वाब है.....इसके बाद वे दोनों आगे बढ़े, फिर रुके. 

"तुम मेरे साथ चलोगी ?" ऐसा ही कुछ उसने कहा था एक दिन. आस-पास के शोर से एकदम अलग लगी थी उसकी आवाज़. एक ठहराव, फिर भी एक शोखी थी उसकी आवाज़ में, जो उसे बहुत पसंद थी. क्या सब कुछ वैसा ही होता है जैसा दिखाई देता है?

धीरे-धीरे उसकी बातों के मायने समझ में आने लगे. उसे प्यार तो बहुत था पर बहुतों से था. एक बात और कही थी उसने कि क्या बहुतों को प्यार करने से तुम्हारे हिस्से का प्यार कम हो जाता है? नहीं...शायद नहीं.....प्यार कैसे कम हो सकता है.....बस कुछ दरक सा गया उस दिन के बाद.

रविवार, जून 12, 2011

तुम्हारे सतरंगी वजूद के एक रंग से मुझे बेहद प्यार है

इस कायनात का हर एक शख्स एक दूसरे से एक दम जुदा और हर एक शख्स में कई जुदा-जुदा शख्सियतों का वजूद. सच कहूँ, तुम्हारे सतरंगी वजूद के एक रंग से मुझे बेहद प्यार है. वो रंग, जो मुझमें खुद-ब-खुद घुलता जाता है और मुझे कभी खुद से जुदा नहीं होने देना चाहता. इसकी भीगी सी खुश्बू को मैंने गुनगुनी धूप में भी संजोकर रखा है कि तमाम उम्र इसी मदहोशी में गुजरने पाए.
   खुले आँगन में बैठकर उस दिन तुमने एक बात कही थी कि इन दिनों तुम बेहद खुश हो, बिना वजह. मुझे भी तो नन्ही बिटिया की आवाज़ कोयल सरीखी लगा करती है आजकल. यूँ बेवजह खुश होने का मतलब नहीं जानना है मुझे. बस इन खुशियों की उम्र में इज़ाफा होने की दुआ खुद मैंने अर्श पर जाकर मांगी है और प्यार करने वालों की दुआओं में यकीनन असर होता है.
     कई उदास सफ़र अकेले तय कर लिए इन रास्तों ने. हाँ, मेरी आँखों का रंग कहाँ देखा था तुमने उस दिन? उन्हें एक रास्ता भर कह दिया था मेरे दिल तक पहुँचने का. और फिर मेरे मुस्कुराते ही तुम्हारी रुलाई छूट गयी थी. शायद तुम्हें इस अफ़सोस ने घेर लिया कि दो अकेले उदास सफ़र साथ-साथ कटने पाते तो कितने खुशनुमा होते.
   एक पूरी उम्र अभी बाकी है मेरे दोस्त. अगर एक अप्रत्याशित तरीके से मेरी आवाज़ तुम्हे चौंका दे, तो सोचा है कभी कि तुम खुश होओगे या कि उदास ? एक ख्वाहिश है मेरी कि उस दिन बस मेरी पसंद के उस रंग को मुझमे घुलने देना.

गुरुवार, जून 02, 2011

साज़-ए-दिल की अफ़्सुर्दगी पे रोना आया

साज़ की उलझी तारों ने इक दिन अनमना सुर छेड़कर साजिन्दे से पूछा कि तुम मुझे कितना प्यार करते हो और कब तक करते रहोगे ? साजिंदा उसके सवाल पर थोड़ा दुखी और कुछ हैरान होता हुआ बोला,"तुमने ये सवाल उस वक्त क्यों नहीं पूछा जब मैं तुम पर सृष्टि के महान गीत की रचना करना चाहता था ?"

साज़ खामोश हो गया. साजिन्दे ने उसकी ख़ामोशी को अपनी जादूभरी आवाज़ से तोड़ते हुए कहा,"सुनो, मैं तुम्हें दिल की गहराई से प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा. साज़ के बेचैन सुरों ने विस्मय से पूछा,"इसका मतलब ये हुआ कि चाहे कुछ भी हो जाये तुम मुझे हमेशा प्यार करते रहोगे ?"

साजिन्दे को इतने बचकाने सुर सहेजने की आदत नहीं थी कि अब वो किन्हीं दूसरे सुरों से मुखातिब था. साज़ की आँखों में अफ़सोस के आँसू थे. साजिंदा भी उससे नाराज़ हो गया और इस पल सजाया जाने वाला गीत चुपचाप सहमकर किसी कोने में जा बैठा, आगे के मंज़र की गवाही देने को.

चाँद कुछ देर को बादल के पीछे जा छुपा और साज़ ने उदासी से कहा,"सुनो, तुम जब-जब मुझे अपने प्यार भरे अंदाज़ से छू लेते हो, मेरे बेतरतीब से तार कुछ सुलझ जाते हैं, इक मीठा सा दर्द उभरता है और मैं एक प्यार भरा गीत बनकर हवाओं में बिखर जाता हूँ. मेरे सीने में एक छोटा सा दिल है जो बार-बार इसी गीत को सुनना चाहता है. आज फिर इसी गीत को सुनने की तमन्ना मुझे तुम तक ले आयी, पर सच तो ये है की सृष्टि के महान गीत रोज़ नहीं लिखे जाते."

                             साज़-ए-दिल की अफ़्सुर्दगी पे रोना आया                              कल रात हमने हर बात का मातम मनाया