रविवार, फ़रवरी 19, 2012

तुम्हारी याद भी बिल्कुल तुम्हारे दर्द के जैसी ही है

तुम्हारी याद भी बिल्कुल तुम्हारे दर्द के जैसी ही है जो सिर्फ़ आँखों के रस्ते बह जाती है कभी शिकायत नहीं करती. शिकायतों के मौसम अब बीत गये. एक बार कहा था तुमने कि कुछ भी स्थाई नहीं है सब बदलता रहता है बस प्यार नहीं बदलता.


वो एक सुन्दर सा बंगला था. ठीक से याद किया जाये तो उसके बाहर ढेरों खूबसूरत फूल लगे थे. उसने अजब हैरानी से पहले फूलों को देखा और फिर अपनी प्रियतम को. शायद उसे इस बात की हैरानी थी कि इस समय वो सबसे खूबसूरत किसे कहे. उसकी प्रिया कुछ परेशानी में लग रही थी, शायद किसी के आ जाने का डर रहा होगा. बात करने के लिए उन्हें तन्हाई में भी कहीं दूर निकल जाना था.


"तुमने मुझे कभी याद नहीं किया, इससे पहले?" उसने पूछा.


"नहीं, तुम मुझे याद रहे ही नहीं कभी....."


"तुम बिल्कुल भी नहीं बदली हो. बिल्कुल पहले जैसी हो." उसने आगे कहा.


"और सच पूछो तो मुझे याद भी नहीं कि तुम पहले कैसे दिखते थे....."


"मैं भी तुम्हारे चले जाने के बाद मसरूफ़ था तमाम और बातों में...पर तुम्हें भूला नहीं था...सच कहूँ, अब तुमने बहुत देर कर दी लौटने में...मैं तुमसे शायद प्यार करने लगा था और अब तक छूट नहीं पाया हूँ..."


"और मैं जिससे प्यार करना चाहती थी वो कभी मिला ही नहीं....."
पर अब बहुत देर हो चली है.....शाम होने को है और घर वापस भी जाना है....तुम अपना ख्याल रखना....."


साथ चलते-चलते वो अब अकेले ही चलने लगी. छूट तो वो भी नहीं पाई थी...पर उसने कभी कहा नहीं कि वो भी बहुत प्यार करती रही है उससे. अपनी ख़्वाहिशों में उसने किसी और को जगह नहीं दी आज तक. उसका प्यार भी स्थाई है और इंतज़ार भी.....बाकी सब कुछ बदल गया है....

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