एक ही दिन में कई हैरानी भारी बातें एक-एक करके गुज़रती गयीं और वो दिन भी बीत ही गया और दिनों की तरह. ऐसा लगता था कि जैसे एक ही दिन में कई दिन जी लिए. वो शुरू तो कुछ आम दिनों की तरह ही हुआ था पर ज्यों-ज्यों दिन पर सूरज का रंग चढ़ता गया मुझ पर से कई रंग उतरते गये.
माँ पर कुछ भी बुरा बीते ये नागवार गुज़रता ही है . उनके जीवन भर की अमूल्य निधि , उनका स्त्रीधन यानि उनके सोने के गहने एक यात्रा के दौरान यकायक ही खो गये. माँ बहुत बड़े दिल वाली और प्रेक्टिकल परसन हैं फिर भी उनका अपार दुःख फोन पर उनकी कंपकंपाती आवाज़ में साफ़ झलक रहा था. खबर सुनते ही मैंने अपना दिल डूबता हुआ सा महसूस किया, फिर भी अपनी आवाज़ पर संयम रखते हुए मैंने उन्हें ढाढस बँधाया.
सच पूछो तो वो घटना बताने के बाद मेरी माँ इस बात से ज्यादा चिन्तित थीं कि उनकी चिंता में कहीं मेरी नींद न उड़ जाये. खैर, हम काफ़ी देर इस घटना की अनेकानेक संभावनाओं पर बात करते रहे. ये बात भी कि जिसने भी ऐसा किया होगा क्यूँ किया होगा, हालाँकि हम दोनों ही ये जान रहे थे कि अब इन बातों के कोई मायने नहीं हैं. मैंने अपनी प्रार्थनाओं में ये कहा कि माँ को उनकी निधि किसी तरह वापस मिल जाये जब कि मैं जानती हूँ ये उस निधि के खो जाने से भी ज्यादा आश्चर्यजनक घटना होगी.
फोन रखने के बाद मैं बेहद उदास हो गयी. मुझे माँ के लिए बहुत बुरा लग रहा था. पर अभी दिन खत्म नहीं हुआ था. मुझे लगा किसी दोस्त से बात करके जी हल्का कर लूँ , ये कहाँ पता था कि दिन और भी बुरा होने जा रहा है. इस से पहले कि मैं ये घटना बताकर अपना जी हल्का करती, उस दोस्त ने कुछ ऐसी कड़वी बात कही कि जी और भी उदास हो गया. जिन्हें हम अपना बहुत करीबी दोस्त समझ रहे होते हैं, वो अगर एक दिन ये ऐलान कर दें कि वो हमारी दोस्ती की नौका में से कब के उतर चुके हैं, बिना कोई आहट किये, तो शक होने लगता है कि दोस्ती थी भी या नहीं. मुझे लगा कि मुझे इसका कारण पूछना चाहिए, सो मैंने पूछ ही डाला, पर मुझे लगा कि बस अभी मेरा ही समय बुरा चल रहा है. शायद कोई-कोई दिन ही इतना बुरा होता है कि सब कुछ अप्रत्याशित ही घट रहा होता है.
मुझे हर बात पर बड़ी जल्दी रोना आ जाता है , पता नहीं क्यूँ उस दिन एक भी आँसू नहीं टपका. मैंने कहीं सुन रखा है कि हर घटना हमारे लिए हर लिहाज़ से अच्छी ही होती है क्यों कि अच्छी घटनाएँ अच्छे पल देती हैं और बुरी घटनाएँ अच्छे सबक. पता नहीं ये मेरे लिए अच्छे पल थे या अच्छे सबक.....पर ये दिन बहुत कुछ दे गया.
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अच्छे दिन और अच्छे सबक दोनों ही अच्छे दोस्त की कमी को पूरा कहाँ कर पाते हैं....दोस्त, जी बहुत उदास है उस दिन से....
magar aisa kiya kyo us dost ne ???? poochha kyo nahi ?
जवाब देंहटाएंपूछा था दोस्त, लिखा तो है मैंने....
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