शुक्रवार, फ़रवरी 07, 2014

उम्रदराज़ पिता

आज अगर पिता होते
तो उम्रदराज़ होते 

सुबह की सैर
माँ को यूँ अकेले नहीं करनी पड़ती 
बल्कि पिता अपने 
कनटोपे के साथ
सर्द सुबहों में भी सैर में उनके साथ होते 
आज अगर पिता होते
तो उम्रदराज़ होते 

बेटियों को ब्याह देना और
उनसे छूट जाना
उनकी सोच नहीं थी 
बेटियों को स्वतंत्र और आत्मविश्वासी देखकर 
मन ही मन खुश हो जाते
आज अगर पिता होते
तो उम्रदराज़ होते 

बेटे से उनका रिश्ता अब तक एक नया रूप ले पाता
उनका झुर्रियों वाला हाथ 
अपने बेटे का माथा सहलाता 
हर कदम पर यकीनन 
दोनों ज़िम्मेदारी बाँट लेते 
आज अगर पिता होते
तो उम्रदराज़ होते 

पिता 
आप घर की धुरी थे 
हम सब के लिए बेहद ज़रूरी थे 

टूट कर बिखर गए हम सब आपके बगैर 
जी न सके एक दिन भी
जी तो रहे हैं खैर

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