मंगलवार, नवंबर 08, 2011

अपनी आत्मा के बारे में ही सबसे ज्यादा सोचना चाहिए


अपने हिस्से का आसमां चुराते-चुराते नादान शाम न जाने कब पूरा आसमां पाने की फ़िराक में रहने लगी. शायद उसे इस बात का गुमां न रहा कि आसमां  के पास खुश होने की और भी वजहें हैं. यूँ एक दिन आसमां जब उसके आगोश में सिमट आया तो शाम अपने चाहने वालों से भी जी चुराने लगी. क्षितिज पर हुई इस मुलाकात के बाद आसमां ने अपनी रात चाँद-तारों के साथ बिताई और वो अँधेरे और रोशनी के इस खेल से खुश था. सुबह के खिलते सूरज को भी तो उसने अपनी खुशी की वजह बताया.


         शाम के आस-पास सुखद रंगों, ध्वनियों,प्रकाश और गतियों का जादू सा था. वह सिर्फ तभी नहीं नाचती थी जब उसकी आत्मा बहुत थकन महसूस करती थी या आराम करना चाहती थी. अब अचानक उसने आसमां को एक बिल्कुल नए और अप्रत्याशित रूप में देखा. ऊब पैदा करने वाले रूप के साथ नाचना संभव नहीं था इसलिए उसकी आत्मा ने आराम की इजाज़त माँगी.


            इस अप्रिय और अटपटी सी बात के बाद शाम कुछ उदास सी रहने लगी. आसमां से वो केवल एक बात के लिए मिन्नत करती है कि उसे इस असह्य स्थिति से उबार लिया जाये जिसमें वह इस समय है. शाम का ह्रदय हताशा से फटा जा रहा है और उदासीन और शांत चेहरे के साथ वो चुपचाप आतंरिक संघर्ष कर रही है. ये वही शाम है जिसे आसमां ने अपना प्यार भेंट किया है और बदले में प्यार ही पाया है. अपने आस-पास प्रकृति की उदासी में डूबे होने के बावजूद शाम के मन में आसमां से मिलने की उमंग है. बात साफ़ है कि शाम ने कहीं सुन रखा था अपनी आत्मा के बारे में ही सबसे ज्यादा सोचना चाहिए.

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह ,कितनी गहरी और अर्थपूर्ण बात कह दी आप ने...........बात साफ़ है कि शाम ने कहीं सुन रखा था अपनी आत्मा के बारे में ही सबसे ज्यादा सोचना चाहिए....आप की सोच की जितनी तारीफ़ की जाए कम है

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